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कमज़ोर ‘पेट’ वाले इसे जरुर पढ़ लें…वरना पछताएंगे

jugaali
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मामू आमिर खान और भांजे इमरान खान द्वारा रचा “डेली वेली” नामक तमाशा देखा.यह गालियों,फूहड़ता,अश्लीलता और छिछोरेपन के मिश्रण से रची एक चुस्त, तेज-तर्रार और सटीक रूप से सम्पादित रियल लाइफ से जुडी कामेडी फिल्म है. जिन लोगों ने छोटे परदे पर फूहडता के प्रतीक ‘एम टीवी’ पर शुरूआती दौर में साइरस ब्रोचा द्वारा बनाये गए विज्ञापन और कार्यक्रम देखे हैं तो उन्हें यह फिल्म उसी का विस्तार लगेगी और शुचितावादियों को हमारी संस्कृति के मुंह पर करारा तमाचा. यदि उदाहरण के ज़रिये बात की जाए तो हाजमा दुरुस्त रखने के लिए हाजमोला की एक-दो गोली खाना तो ठीक है लेकिन यदि पूरा डिब्बा ही दिन भर में उड़ा दिया जाए तो फिर हाजमे और पेट का भगवान ही मालिक है.मामा-भांजे की जोड़ी ने इस फिल्म के जरिये यही किया है.अब यदि आप का पेट पूरा डिब्बा हाजमोला बर्दाश्त कर सकता है तो जरुर देखिये काफी मनोरंजक लगेगी और यदि कमज़ोर पेट के मालिक हैं तो डेली वेली को देखने की बजाये समीक्षाओं से ही काम चला ले. हाँ, जैसे भी-जहाँ भी देखे कम से कम परिवार(माँ,बहन,बेटी-बेटा,पिता,भाई और पत्नी भी) को साथ न ले जाएँ वरना साथ बैठकर न तो वे फिल्म का आनंद उठा पाएंगे और न ही आप….यह फिल्म अकेले-अकेले देखने(दोस्त शामिल) और अलग-अलग पूरा मज़ा लेने की है….तो आपका क्या इरादा है?
यदि आप भूले नहीं हो तो मामा-भांजे की यही जोड़ी कुछ दिन पहले शराबखोरी के समर्थन में जहाँ-तहां बयानबाज़ी करती फिर रही थी.मसला यह था कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में शराब पीने की सरकारी उम्र अठारह साल से बढ़ाकर इक्कीस बरस कर दी थी.अब इनकी आपत्ति यह थी कि युवाओं से शराब पीने का अधिकार क्यों छीना जा रहा है.खान द्वय का तर्क यह है कि जब युवा अठारह साल की उम्र में मतदान कर सकते हैं तो शराब क्यों नहीं पी सकते? यह तर्क तो लाज़वाब है पर क्या शराब पीना मतदान करने जैसा काम है?शराब इतनी जरुरी चीज है कि उससे देश के युवा महज तीन साल की जुदाई भी सहन नहीं कर सकते?क्या शराबखोरी इतना फायदेमंद है कि देश के सबसे संवेदनशील कलाकारों में गिने जाने वाले आमिर खान तक उसके पक्ष में कूद पड़े? कहीं यह ‘डेली वेली’ फिल्म के प्रचार के लिए तो नहीं था?आमतौर पर फिल्मों के प्रचार के लिए ये हथकंडे अपनाए जाते हैं.कहीं ऐसा तो नहीं कि आज केवल शराब की बात हो रही है पर कल शादी की उम्र पर भी इसीतरह की आपत्ति होने लगे कि युवा जब अठारह साल में वोट डाल सकते हैं तो शादी क्यों नहीं कर सकते? वैसे आमिर ने अपनी फिल्म के द्वारा यही सब दिखाने/सिखाने का प्रयास किया है. अब फैसला युवाओं को ही करना है कि उनको ‘डेली वेली’ के रास्ते पर चलना है या इस रास्ते के खिलाफ कदम उठाना है….!

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