Menu
blogid : 1724 postid : 77

आओ सब मिलकर कहें कार्ला ब्रूनी हाय-हाय

jugaali
jugaali
  • 88 Posts
  • 316 Comments

फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की माडल पत्नी कार्ला ब्रूनी अपने कार्यों से ज्यादा अपनी अदाओं और कारगुजारियों के लिए सुर्ख़ियों में रहती हैं.कभी अपने कपड़ों को लेकर तो कभी नग्न पेंटिंग के लिए ख़बरों में रही कार्ला ने अपने एक बयान से भारत सरकार और कई स्वयंसेवी संगठनों की सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया है.कार्ला ने आगरा के पास स्थित फतेहपुर सीकरी में एक मशहूर दरगाह पर अपने लिए बेटे की मन्नत मांगी.अपने लिए दुआ करना या कोई ख्वाहिश रखने में कोई बुरे नहीं है पर उस इच्छा को सार्वजनिक करना भी उचित नहीं ठहराया जा सकता.हमारा देश सदियों से “पुत्र-मोह” का शिकार है और इसका खामियाजा जन्मी-अजन्मी बेटियां सालों से भुगत रही हैं.कभी दूध में डुबोकर तो कभी अफीम चटाकर उनकी जान ली जाती है.अब तो आधुनिक चिकित्सा खोजों ने बेटियों को मारना और भी आसान बना दिया है.अब तो कोख में ही बेटियों की समाधि बना देना आम बात हो गयी है.
सरकार के और सरकार से ज्यादा स्वयंसेवी संगठनों के अनथक प्रयासों के फलस्वरूप बेटियों को समाज में सम्मान जनक स्थान मिलने की सम्भावना नज़र आने लगी थी.पुत्र-मोह की बेड़ियाँ टूटने लगी थीं और बेटियां जन्म लेने लगी थी.समाज की इस सोच को बदलने में दशकों लग गए पर कार्ला ब्रूनी और उनके शब्दों पर न्योछावर हमारे मीडिया ने वर्षों के किये कराए पर पानी फेर दिया.अरे जब फ़्रांस जैसे विकसित देश की प्रथम महिला अपने लिए पुत्र की कामना कर सकती है और इसके लिए अपनी परम्पराओं से हटकर दरगाह पर मत्था टेककर मन्नत मांग सकती है तो फिर आम भारतियों का तो ये हक बन जाता है कि वे पुत्र की कामना में अपनी पत्नी को कारखाने में बदल दे और पुत्र पैदा करके ही दम ले फिर चाहे उसके पहले आधा दर्जन बेतिया पैदा करनी पड़े या फिर कोख में ही मारनी पड़े? वैसे कार्ला उसी फ़्रांस की प्रथम महिला हैं जहाँ बुरके को महिलाओं की आज़ादी के खिलाफ मन जाता है और उसपर सरकार बकायदा कानून बनाकर प्रतिबन्ध लगाती है.एक तरफ़ कार्ला इतनी प्रगतिशील नज़र आती हैं कि बुर्के के खिलाफ कड़ी हो जाती हैं और वाही दूसरी ओर दरगाह पर बेटे के लिए मन्नत मांगती हैं?दीर भी हम,हमारा मीडिया,सरकार और तमाम बुद्धिजीवी उनकी जय-जयकार में जुटे हैं.किसी ने यह कहने की हिम्मत नहीं दिखाई कि कार्ला आप हमारी बरसों की मेहनत पर पानी क्यों फेर रही हैं? आप को तो शायद बेटा मिल जायेगा पर हमारी हजारों बेटियों की जान जाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

नोट:दरगाह का नाम जान बूझकर नहीं दिया ताकि हमारे पुत्र-लोलुप लोग वहां लाईन न लगा सके.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh